नई दिल्ली: यूपी के बलिया जिला में एक बार फिर बड़ा बवाल हुआ है. बता दें की बलिया के रतसड बाजार में हुए दो पक्षों के विवाद में धारा 144 लागू होने के बावजूद भी तोड़फोड़ और आगजनी की गई.जानकरी के मुताबिक बलिया में जब ये सांप्रदायिक बवाल हो रहा था उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजधानी लखनऊ में पुलिस अधिकारियों के साथ त्योहारों के समय हुई हिंसा की समीक्षा बैठक में उपस्थीत थे.
मिली जानकारी के मुताबिक बताया यह जा रहा है कि दो बच्चों में साइकिल और बाइक की टक्कर के बाद ही दो गुटों में ये बवाल शुरू हुआ और एक गुट की तरफ से तो धरना प्रदर्शन के बाद तोड़फोड़ और आगजनी की गई. दो गुटों के बिच इतना सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया की पुलिस को धारा 144 लगानी पड़ी. इसके बाद भी दोनो गुटों में हिंसक झड़प हुए कई दुकानों में तोड़ फोड़ हुए दर्ज़नो दुकानों में आगजनी और लूटपाट भी की गयी. इस बिगड़ते हुए हालात की सारी जिम्मेदारी पुलिस की निष्क्रियता से हुआ, पुलिस की निष्क्रियता ने ही सारा माहौल बिगाड़ा. प्रशसान ने इस मामले में चौकी इंचार्ज को निलंबित कर दिया है और इसमे 22 लोगो को गिरफ्तार किया गया.
आपको बता दें की बलिया जिले के सिकंदरपुर की घटना को अभी दस हुए भी नही थे की इसी 10 दिनों में यह दूसरी बार संप्रदायिक टकराव हुआ है इससे पहले बलिया में मुहर्रम और दशहरा के दिन भी बड़ा बवाल हुआ था. ऐसे में एक यह सवाल उठता है कि धारा 144 लागू होने के बावजूद भी अराजक तत्वों ने बवाल कैसे मचा दिया.
क्या था मामला
मीडिया को मिली जानकरीक के मुताबिक मंगलवार की शाम रतसर गांव के पूरबी राजभर बस्ती निवासी एक युवक जब अपनी मां को साइकल से लेकर घर को लौट रहा था। तभी बाजार में पंचायत भवन के पास एक बाइक से साइकिल की आपस में टक्कर लग गई। इस पर दोनो में काफी विवाद हो गया। बाइक सवार और उसके दोस्तों ने साइकिल सवार युवक की जमकर पिटाई कर दी।
पुलिस की लापरवाही
सबसे हैरानी की बात यह है कि वर्ग संघर्ष जैसे संगीन मामले की जांच में भी पुलिस को इतने दिन लग गए और उसके बाद जाकर के चौकी प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की गई। इतना ही नहीं तीन दिनों तक कस्बे में उत्पात मचानेवालों के मामले में भी पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुए थी । इसी लापरवाही को बरतने में एसपी ने रतसर के चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया है। 22 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और सोशल मीडिया के जरिए ऐसे अफवाह फैलानेवालों पर सख्ती के संदेश के साथ तथा राजनीतिक दलों के लोगों का कस्बे में प्रवेश को पपुरे प्रतिबंधित कर देने जैसे कदम उठा कर उपद्रवियों को संदेश दे दिया है।