जेएनयू हिंसा आखिर कौन है जिम्मेदार पुलिस या विश्वविद्यालय प्रशासन ?

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जेएनयू में रविवार की रात में हुये संघर्ष में छात्र, छात्रों के साथ साथ वहां मौजुद प्रोफेसर तक को नकाबपोश हमलावरों ने नहीं छोडा बताया जा रहा है कि करीब 30 से अधिक संख्या में लोग लाठी , डंन्डों के साथ कैम्पस के अन्दर आते है। और करीब दो घंटों तक वहाँ पर मार पीट करते है इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन कुछ नहीं करता है। आप को बताते चले कि कुछ समय पहले ही 400 गार्ड को वहाँ से हटा कर सेना के कुछ रिटायर्ड जवानों को वहाँ रखा जाता हैं ताकी वो स्थिती को अच्छे से सम्भाल सके। ये सोचने की बात है कि इतने बडे कैम्पस में इतनी अधिक संख्या में लोग आते है दो घंटो तक वहाँ पर घटना को अंजाम देते है और बडे आराम से निकल जाते है लेकिन वहाँ मौजूद कोई भी गार्ड किसी भी एक उपद्रवी को पकड नहीं पाता है। क्या ये सब इतना आसान होता जा रहा है कि कोई भी व्यक्ति कैम्पस में आ कर कुछ भी कर के चला जाये और किसी को कुछ पता ना चले ।

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दिल्ली पुलिस क्यों नहीं गयी कैम्पस में ?

इस पुरे प्रकरण में दिल्ली पुलिस पर भी सवाल खडे कर रही है कि जब दिल्ली पुलिस बिना अनुमति के जामिया मिलीया मे घुस सकती है तो यहाँ पर वो बाहर खडे होकर क्या कर रही थी। इस बात को लेकर दिल्ली पुलिस के कुछ अधिकारी पुलिस को शक के घेरे मे लेते है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि वो प्रशासन से अनुमति का इन्तजार कर रही थी क्यों कि बिना अनुमति के जामिया में जाने पर दिल्ली पुलिस को काफी दिक्तों का सामना करना पडा था। लेकिन क्या ये सही है कि कैम्पस के अन्दर कोई भी घटना हो जाये और पुलिस आदेश का इंतजार करती रहे ? अभी तक ये साफ नहीं हो पा रहा है कि वो नकाबपोश लोग कौन थे जो कैम्पस में बिना किसी डर के आते है और घटना को अंजाम देकर वापस चले जाते है और विश्वविद्यालय प्रशासन कुछ नहीं करता है इस घटना मे विश्वविद्यालय प्रशासन भी शक के घेरे मे है ।

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अभी तक मिली जानकारी मे पुलिस सी सी टीवी फुटेज को चेक कर रही है इसी आधार पर आगे कि कार्यवाही किया जाना सुनिश्चत किया जा रहा है फुटेज मे कुछ लडके और लडकियाँ हाथ मे लोहे की राड के साथ दिखाई दे रहे है अभी तक उनकी पहचान नहीं कि जा सकी हैं।

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DBAdmin

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