भारत में हवा के प्रशिक्षण WHO के मानक के तौर पर की गई जिस परीक्षण में भारत की हवा प्रदूषित होती जा रही है. भारत की मौजूदा स्थिति में हवा विश्व में दूसरे नंबर पर सबसे दूषित हवा है. इस मानक के अनुसार 1998 से लेकर अब तक भारत की प्रदूषण में 42% की बढ़ोतरी हुई है. इस मानक के अनुसार भारत में लोगों के जीवन काल 5 साल से लेकर 8 साल तक कम हो गया है लोग अपने जीवन के 8 साल कम जी पा रहे हैं यहां के प्रदूषण की वजह से विश्व में भारत का प्रदूषण में दूसरा स्थान है.
यूनिवर्सिटी आफ शिकागो जो अमेरिका में है उसकी एक रिसर्च के मुताबिक 2018 के हवा की गुणवत्ता को चेक करने से जो रिजल्ट मिला है उसके अनुसार भारत में दिल्लीवासी लोग अपनी लाइफ के 8 से 9 साल कम जी रहा है . इस रिसर्च के अनुसार बताया गया है कि अगर भारत अपनी गुणवत्ता में सुधार विश्व मानक के तौर पर करता है विश्व स्तरीय तरीके से तो दिल्ली वासियों का जीवन 5 से 6 साल तक बढ़ सकता है. यूनिवर्सिटी के रिसर्च के मुताबिक भारत का अधिकतर लोग उस इलाके में रहता है. जहां हवा का स्तर बहुत ही गिरा हुआ है (40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है) विश्व स्तरीय मानक मानस को मान लिया जाए तो पूरा देश 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के अनुसार हवा में रह रहा है जिससे अगर राष्ट्रीय देश के तौर पर माना जाए तो हर इंसान का जीवन 2 से 3 साल कम हो रहा है .
स्टडी के अनुसार अगर माने तो आने वाले समय में 24.8 करोड़ लोग अपनी लाइफ से 8 साल कम जिएंगे. भारत में लखनऊ शहर का विश्व में मानक के अनुसार 11 गुना निचला स्तर है. इसके अनुसार लखनऊ में रहने वाले लोगों के जीवनकाल 10 से 11 साल कम हो रहे हैं. साथी दिल्ली में अधिक वायु प्रदूषण की वजह से लोगों की आयु में 8 से 9 साल कम हो रहे हैं
स्टडी के मुताबिक ऐसे कई राज्य हैं भारत में जहां का वायु स्तर बहुत निचला है. जैसे पश्चिम बंगाल, हरियाणा हवाई विस्तर डब्ल्यूएचओ मारने के अनुसार बहुत खराब है जिस कारण यहां के रहने वाले लोग 6 से 7 साल कम जी रहे हैं या यूं कह सकते हैं कि वह अपने जीवन के 6 या 7 साल नहीं जी पाएंगे.