- संसद मे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया ट्रस्ट के नाम का ऐलान
- सरकार ने पहला 1 रुपए का नकद दान ट्रस्ट को दिया
9 नवम्बर 2019 के दिन सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए श्री राम जन्म भूमि विवाद पर हमेशा के लिए फुल स्टाप लगा दिया और अपना निर्णय सुना दिया । पुरी की पुरी विवादित जमीन को रामलला को दे दिया और निर्मोही आखाडा के दावे को भी खारिज कर दिया था। कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड को दूसरी जगह पर 5 एकड जमीन देने के लिए राज्य सरकार को कहा था। और यह भी कहा था कि 3 महीने के अंदर श्री राम मन्दिर निर्माण के लिए सरकार ट्रस्ट का गठन करे। सरकार ने 4 दिन शेष रहते ही ट्रस्ट कि धोषणा कर दी ।
अयोध्या विवाद दशकों पुराना विवाद था लगातार 40 दिनों की सुनवाई के बाद इस केस का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवम्बर को सुनाया था । इस केस की सुनवाई पाँच जजों की बैंच ने किया था। जस्टिस रंजन गोगोई , जस्टिस शरद अरविंद बोबडे , जस्टिस धनंजय यशवंत चन्द्रचूड , जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर ने लिया और फैसले को पढकर जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनाया था।
5 फरवरी 2020 को लोकसभा मे बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद को बताया कि श्री राम मन्दिर के निर्माण के लिए मार्ग को प्रस्शत करते हुए ट्रस्ट का गठन कर दिया गया है।
उन्होंने ट्रस्ट का नाम “ श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ” बताया । इस ट्रस्ट मे 15 सदस्यों के होने की बात बतायी गयी है। जिसमे से 9 सदस्य स्थायी होगे तो 6 सदस्यों को नामित किया जायेगा। ट्रस्ट मे श्री रामलला की पैरवी करने वाले सीनियर एडवोकेट केशवन अय्यंगार परासरण को भी जगह दी गयी है। इनके अलावा ट्रस्ट मे जगतगुरु शंकराचार्य , जगतगुरु माधवानंद स्वामी , युगपुरुष परमानंद जी महाराज , गोविंद देव गिरि , डाक्टर अनिल मिश्रा , कामेश्वर चौपाल के साथ साथ निर्मोही अखाडा के धीरेन्द्र दास का भी नाम इसमे सामिल किया गया है। ट्रस्ट को मन्दिर निर्माण से सम्बन्धित किसी भी मुददे पर स्वतंत्र रुप से निर्णय लेने का अधिकार होगा । ट्रस्ट का रजिस्टर्ड कार्यालय दिल्ली मे स्थित होगा ।