नागरिकता संशोधन कानून ( सी ए ए ) के खिलाफ पुरे देश भर मे विरोध चल रहे है। इसमे दिल्ली का शाहिन बाग जो कि पिछले एक महीने से अधिक दिनों से वहाँ पर विरोध चल रहा है और पूरी तरह से शान्ति पूर्ण तरीके से ये लागातार जारी हैं। अभी तक दिल्ली सरकार ने उन्हे किसी प्रकार से परेशान नही किया है। लेकिन जब ये प्रर्दशन उत्तर प्रदेश मे शुरु हुए तो यहाँ पर प्रदेश सरकार ने दमन की निति को अपनाते हुए शान्ति पूर्ण प्रर्दशन को दबाने के लिए उनके खिलाफ FIR का डंडा चलाते हुए 1200 से अधिक लोगों के खिलाफ FIR करा डाली । शाहीन बाग की तर्ज पर लखनऊ के घंटाघर पर चल रहे प्रर्दशन मे योगी सरकार प्रर्दशनकारीयों पर FIR का डंडा चलाकर उनको रोकने का प्रयास कर रही है। इस FIR की प्रक्रिया मे सरकार के द्वारा लखनऊ, प्रयागराज, अलीगढ, इटावा मे भी प्रर्दशन को दबाने के लिए FIR कराया गया। क्या इस प्रकार से FIR का डर दिखा के प्रर्दशन को रोका जा सकता है और यदि रोका भी जा सकता है, तो क्या ये पूरी तरह से संविधान मे दिये गए अधिकारों का हनन नही हो रहा है ?
- मशहुर शायर मुनव्वर राणा की दो बेटीयों के नाम भी FIR
- लखनऊ के घंटाघर मे प्रर्दशन
क्या प्रर्दशन को रोकने के लिए FIR ही एक मात्र रास्ता है
Lucknow: Women continue to protest at Ghanta Ghar against #CitizenshipAmendmentAct and National Register of Citizens (NRC). pic.twitter.com/p3bHvrYN1C
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 21, 2020
अगर प्रर्दशन को रोकने का एक मात्र रास्ता प्रर्दशनकारी पर FIR कराना है तो दिल्ली सरकार ने शाहीन बाग मे हो रहे प्रर्दशन को रोकने के लिए कितने लोगो के खिलाफ FIR कराया है, और अगर नहीं कराया तो क्यों नही कराया इसके उलट उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रर्दशनकारीयों पर FIR करा के उनको दबाना चाहती है या इस प्रर्दशन को और ज्यादा भडकाना चाहती है ये समझ के परे है क्यों कि किसी भी मुद्दे को दबाकर समाप्त करा देना बहुत ही कठिन होता है परंतु उसे समझा कर पूरी तरह से समाप्त कराया जा सकता है और ये मुद्दा पूरे देश मे फैला हुआ है। सी ए ए को लेकर दाखिल याचिकाओं पर कल सुनवायी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी ये साफ कर दिया की दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही इस मुद्दे पर कोई रोक या कोई फैसला सुनाया जायेगा इसके लिए सरकार को 4 सप्ताह का समय कोर्ट ने दिया।
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