दिल्ली मे होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए चुनावी शोर आज शाम यानी 6 फरवरी को समाप्त हो गया ।
दिल्ली मे विधान सभा चुनाव एक चरण मे 8 फरवरी को होने वाला है। इस चुनाव मे भाजपा के लिए अपने पिछले रिकार्ड को सुधारने का मौका हैं
तो कांग्रेस के लिए ये कुछ पाने का और आम आदमी पार्टी के लिए अपनी साख को बचाने का मौका हैं ।
अगर पिछले रिकार्ड को देखा जाये तो कांग्रेस के पास कुछ खोने के लिए नहीं हैं मतलब पिछली बार कांग्रेस को एक भी सीट नही मिली थी तो उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है लेकिन पाने के लिए बहुत कुछ है । भाजपा की बात करे तो उनके पास पिछली बार मात्र 3 सीटे थी तो अबकी बार पाने के लिए बहुत कुछ है ।
और सबसे अंत मे बात करते हैं आम आदमी पार्टी की तो उनके लिए अपनी साख को बनाये रखना बहुत ही चुनौती पूर्ण हैं और अपने पिछले रिकार्ड जो बहुत ही शानदार था को दोहराना इतना भी आसान नही होगा क्योकि पिछली बार आम आदमी पार्टी को 70 मे से 67 सीटे मिली थी।
• दिल्ली मे एक ही चरण में मतदान 8 फरवरी को होगा
• मदगणना 11 फरवरी को होगी
दिल्ली चुनाव मे शाहीन बाग का कितना असर होगा ये तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन इस बार जिस तरह से नेताओं के बिगडे बोल चुनावी जन सभाओं मे देखने को मिले ये सही नही था। इसको लेकर जगह जगह पर चुनाव आयोग का चाबुक चला। फिर भी किसी भी नेता पर इसका प्रभाव नहीं दिखा ।
आम आदमी पार्टी से भाजपा मे आये कपिल मिश्रा को चुनाव आयोग ने दो दिन के लिए चुनाव प्रचार से रोक दिया, फिर भी उनके ऊपर किसी भी प्रकार का प्रभाव देखने को नही मिला और वो उसी प्रकार से बयान देते रहे।
जिस तरह से केन्द्रीय मंत्री का बयान आया वो भी बहुत ही शर्मनाक था । इस तरह के बयान से समाज मे एक अलग मैसेज जाता है जिससे युवा को गलत संदेश मिलता हैं। जामिया की घटना हो या शाहीन बाग की घटना हो दोनों घटनाओं के लिए देखा जाये तो कही ना कही नेता भी इसके लिए जिम्मेदार है । शाहीन बाग मे गोली कांड हो या फिर जामिया मे गोली कांड हो दोनों ही समाज के लिए घातक हैं और इस प्रकार कि घटना पर यदि कडी कार्यवाही नही होती है तो दोषियों का मनोबल और बढ जायेगा और ये समाज के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होगा।