प्रयागराज मे चल रहे माघ मेले का अंतिम स्नान माघी पूर्णिमा 9 फरवरी को है। इस दिन लगभग 25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इस स्नान पर्व के बाद धीरे धीरे मेले से लोगों का जाने का सिलसिला चालू हो जाता हैं। माघ मेला प्रत्येक वर्ष जनवरी के महीने मे मकर संक्रातिं से शुरु होता है और माघी पूर्णिमा मे समाप्त हो जाता है । माघ मेले मे श्रद्धालु कल्पवास के लिए भी आते है और महीने भर मेले मे ही कल्पवास करते हैं। माघ मेले का हिन्दू धर्म मे अपना एक अलग ही महत्व हैं । इस मेले मे लोग दुसरे प्रदेश के साथ-साथ अन्य देश के श्रद्धालु भी आते हैं।
- माघी पूर्णिमा 9 फरवरी को
- महाशिवरात्री 21 फरवरी को
- 25 लाख से अधिक श्रद्धालुओँ के आने का अनुमान
माघ मेले मे आऩे वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना ना करना पडे। इसके लिए प्रशासन अपनी तरफ से भरपूर तैयारी रखता हैं। मेले मे जगह-जगह पर पुलिस बुथ के साथ-साथ पीने के पानी और शौचालय का भी प्रबन्ध किया जाता है, ताकि मेले मे गंदगी फैलने से रोका जा सके । इसके साथ ही पुलिस सहायता केन्द्र भी बनाये जाते हैं, ताकि भुले-बिछडे लोगों को खोजने मे किसी भी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पडे। मेले मे अस्पताल के साथ-साथ डाक्टर भी मौजूद रहते हैं ,और किसी भी प्रकार की बिमारी होने पर मरीज को तुरंत उपचार दिया जाता हैं। अगर परिस्थिती सामान्य नहीं होती है तो उनको तुरंत ही नजदीकी अस्पताल मे उपचार के लिए भेज दिया जाता हैं।
माघ मेले का हिन्दू धर्म के लिए एक अपना अलग ही महत्व दिया गया हैं। हिन्दू धर्म को मानने वाला प्रत्येक हिन्दू अपने जीवन काल मे कम से कम एक बार माघ मेले मे कल्पवास करना चाहता हैं। भले वो इस भाग दौंड की जिंदगी मे इसे कर पाये या ना कर पाये लेकिन उसकी ये इच्छा अवश्य ही होती हैं।
प्रत्येक 6 वर्ष पर अर्ध कुम्भ और 12 वर्ष पर महाकुम्भ का आयोजन किया जाता है। माघ मेला प्रत्येक वर्ष लगता हैं। मेला इतना बडा होता है कि उसे कई सेक्टर मे बाटा जाता है, ताकि सुरक्षा का प्रबन्ध सही से किया जा सके। सुरक्षा को ध्यान मे रखते हुए मेले मे कई सेक्टर मजिस्ट्रेट की नियुक्ती भी की जाती है।