महाशिवरात्रि इस बार 21 फरवरी को पड रही हैं। महाशिवरात्रि को शिव विवाह के रुप मे भी अलग अलग जगहों पर मनाया जाता हैं। महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म के लिए बहुत ही पवित्र पर्व माना गया हैं। इस दिन मध्य रात्रि से ही लोग शिव मन्दिर के सामने भगवान शिव की पूजा के लिए एकत्र हो जाते हैं। और भिन्न भिन्न प्रकार से भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं। इस दिन भक्त भगवान शिव को गंगा जल , शमी पत्र , विल्व पत्र , धतुरा , भांग ,चंदन , इत्र शहद, दूध ,दही के साथ साथ अनेक प्रकार के सामाग्री से पूजा अर्चना करते हैं तथा भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
भगवान शिव को भोले भंडारी के नाम से भी जाना जाता हैं। क्योकि वो भक्तों के लिए जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। और भक्त के मन के अनुसार फल प्रदान करते हैं। और भक्तों के कष्ट को तुरन्त हर लेते हैं। भगवान शिव बहुत ही भोले हैं उनको अगर आप थोडा ही भक्ति कर के माध्यम से प्रसन्न कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि तिथि और मुहूर्त
महाशिवरात्रि की तिथि: 21 फरवरी 2020
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 21 फरवरी 2020 को शाम 5 बजकर 20 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 22 फरवरी 2020 को शाम 7 बजकर 2 मिनट तक
रात्रि की पूजा का समय: 21 फरवरी 2020 को शाम 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक
शिव की पूजा बिना परिक्रमा के पुरी नही मानी जाती हैं। लेकिन परिक्रमा के भी कुछ नियम हैं जो भक्तों के द्वारा पूरे किये जाने चाहिए तभी पूजा सफल मानी जाती हैं अन्यथा पूजा अधुरी ही रह जाती हैं। शिव की परिक्रमा करते समय इसका ध्यान रखा जाता हैं कि जिस जगह से शिव का चढाया हुआ जल निकल रहा हैं उस को लांघ कर परिक्रमा नही करनी चाहिए मतलब जब भी परिक्रमा करे तो जल निकलने के स्थान पर रुक जाये फिर वापस घुम कर उलटे जाये और दुसरे तरफ से परिक्रमा को पूरा करे । चढाये हुए जल जो अर्ध से निकलता हैँ उसे लांघा नही जाता हैं। ये हिन्दू समाज मे मान्य़ता हैं। भगवान शिव को जल सुबह के समय अर्पित करना चाहिए शिव की पूजा के लिए भांग , धतुरा , बिल्व पत्र , के साथ साथ गंगा जल भी अधिक प्रिय हैं। शमी पत्र भगवान शिव को प्रिय है ही इसका फुल शिव को अत्यधिक प्रिय बताया जाता हैं। शिव भोले भंडारी के साथ साथ अपने भक्तों का ध्यान रखने वाले भगवान हैं। वो थोडे ही परिश्रम मे प्रसन्न हो जाते हैं। और भक्त की चिन्ता को हर लेते हैं।