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सुप्रीम कोर्ट ने मुहर्रम पर मातमी जुलूस निकालने की इजाजत देने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने मुहर्रम जुलूस निकालने की मांग वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया है, शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने पूरे देश में मुहर्रम जुलूस निकालने की याचिका दायर की थी, सुप्रीम कोर्ट ने इसको आज इजाजत देने से देने से गुरुवार को इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने कहा कि अभी कोरोना संक्रमण फैला हुआ है। ऐसे समय में हम लोगों की सेहत को खतरे में बिलकुल ही नहीं डाल सकते।

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सुप्रीम कोर्ट की एसए बोबडे की पीठ ने कहा कि ‘सामान्य आदेश’ की अनुमति देश में “अराजकता पैदा कर सकती है’. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक विशेष समुदाय को कोविड को फैलाने के लिए लांछित किया जाएगा. इसलिए हम इन आदेशों को पारित नहीं करेंगे, जो बहुत से लोगो के स्वास्थ्य को जोखिम में डाल सकते हैं.

सीजेआई एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मुहर्रम के जुलूस के लिए कोई भी एक चिन्हित स्थान तो नहीं होता है, जहां की प्रतिबंध और सावधनियाँ बरती जा सकती है. बेंच ने कहा कि आप एक समुदाय के लिए पूरे देश के लिए अस्पष्ट निर्देश मांग रहे हैं.

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इस पीठ ने वकील द्वारा शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद के इस तर्क को भी खारिज कर दिया सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जगन्नाथ पुरी यात्रा का मामला अलग था, वहां का स्थान तय था जो की रथ एक तय जगह से दूसरी जगह ही ले जाना था। अदालत ने कहा कि जगन्नाथ पुरी मामला एक विशिष्ट स्थान का था, जहां रथ को बिंदु ए से बी तक जाना था. अगर यहां भी एक विशिष्ट स्थान होता तो हम खतरे का आकलन कर सकते थे और आदेश पारित कर सकते थे. इस तरह के एक तय जगह वाले मामलों में हम इस खतरे का अनुमान लगाकर आदेश जारी कर सकते हैं। लेकिन यह आदेश हर मामले में तो नहीं दिया जा सकता। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मातमी जुलूस की अगर इजाजत दी तो, बहुत बड़ा हंगामा होगा और एक खास समुदाय पर कोरोना फैलाने के भी आरोप लगने लगेंगे। मुहर्रम इस साल 29 अगस्त यानी शनिवार को मनाया जाना है.

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