14 फरवरी 2019 को दोपहर के 3 बजकर 10 मिनट तक पुलवामा मे सब कुछ सामान्य चल रहा था अगले ही पल सी आर पी एफ के काफिले के अंदर एक मारुति सुजुकी ईको गाडी अंदर आती हैं और होता है जोरदार धमाका , लोग कुछ समझ पाते तब तक सी आर पी एफ के 40 जवान मारे जा चुके थे। ये इतना भंयकर आत्मघाती हमला था कि लोगों के रोगटे खडे हो गये । देखते ही देखते हमारे 40 जवान शहीद हो गए इधर लोग वैलेंटाईन के जश्न मे डुबे थे तो वहाँ हमारे जवान लाश और खुन से लथपथ अपने बचे हुए दोस्तों को बचाने का प्रयास कर रहे थे।
कितना दुखद था ये कहना बुहत ही मुश्किल था चोरो तरफ लाश ही लाश और छत विछत शव पडे थे । पुरी की पुरी सडक खुन से सनी हुयी थी। ये क्यों हुआ या ये किसकी गलती की वजह से हुआ ये बहुत ही बडी इंटेलिजेंस फेलयोर्स थी । आखिर कैसे इतनी बडी घटना हो जाती हैं और खुफिया विभाग को भनक तक नही लगती हैं।
घाटी मे ये घटना कोई नयी नही थी। लेकिन जिस तरह से इस घटना को अंजाम दे दिया गया और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी या ये कह ले की ऐसी किसी भी प्रकार की घटना का अंदेशा भी ना होना ये गलत था । घाटी मे आये दिन संघर्ष की घटना होती रहती हैं। लेकिन इसके लिए हमारे जवान मुश्तैदी के साथ तैयार रहते हैं। लेकिन इस घटना मे किसी को किसी प्रकार का कोई अंदेशा नहीं था। क्या ये हमारी खुफिया तंत्र की कमजोरी थी । खैर जो था वो था लेकिन क्या इस घटना के दोषीयों के ऊपर क्या कार्यवाही की गयी।
आज जब पुलवामा हमले को एक साल हो गया ,तब वहाँ की क्या स्थिति हैं । इस घटना के बाद से जब सेना की गाडीयाँ सडको से गुजरेगी तब सभी प्रकार की गाडीयों का प्रवेश रोक दिया जायेगा यानी जब तक सेना का काफिला वहाँ से निकल नही जाता आम लोगों के लिए रास्ता बंद कर दिया जायेगा । इसके बाद श्रीनगर-जम्मू हाइवे पार सीसीटीवी नेटवर्क का काम चल रहा है जिससे कि सडक पर निगरानी रखी जा सके । और ऐसी घटनाओँ से बचा जा सके । लेकिन दुखद ये है कि अभी तक किसी के उपर कोई भी चार्ज सीट फाइल नही की गयी हैं। इसकी जाँच राष्ट्रीय जाँच ऐजेंसी ( एन आई ए ) कर रही हैं।