Sakath Chauth 2020: सकट चौथ का महत्व : पूजा विधि और धार्मिक मान्यताएँ

Sakath Chauth 2020: सकट चौथ का महत्व : पूजा विधि और धार्मिक मान्यताएँ

सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा पुरे विधि विधान से औरतों के द्वारा कि जाती है। ये पूजा माघ मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि को किया जाता है। ऐसी मान्यता है, कि इस व्रत को करने से संतान की सारी बाधाएं दूर हो जाती है, तथा संतान की उम्र लम्बी होती है। इस वर्ष सकट चौथ का पर्व 13 जनवरी 2020 को मनाया जा रहा है।

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सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, वक्रकुडी चतुर्थी और तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश और चन्द्रमा की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। संकष्टी चतुर्थी तो प्रत्येक महीने मे आती है, मगर माघ मास की संकष्टी चतुर्थी का अपना एक अलग ही महत्व है ।

Sakath Chauth Puja 2020

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सकट चौथ का शुभ मुहूर्त  

  • चतुर्थी तिथि आरम्भ  : 13 जनवरी 2020 सांयकाल 5.32 से
  • चतुर्थी तिथि समापन  : 14 जनवरी 2020 दोपहर 2.49 तक
  • सकट चौथ चन्द्रोदय  : 13 जनवरी 2020 रात 9.00 बजे

सकट चौथ कथा की मान्यता 

पुराणों में इस तिथि को लेकर यह मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणेश बडे संकट से निकल कर आए थे इस लिए इस तिथि को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है।

एक बार की बात है माता पार्वती स्नान के लिए गयी और गणेश को मुख्य द्वार पर बैठा कर बोली कि किसी को अन्दर नहीं आने देना। ये कह कर माता पार्वती स्नान के लिए चली गयी, इसी दौरान वहाँ पर भगवान शिव आ पहुचे और अन्दर जाने लगे तो गणेश ने उन्हे रोक लिया। इस बात से नाराज होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशुल से गणेश का सर धड से अलग कर दिया । इसी बीच तब तक माता पार्वती आ जाती है और पुत्र गणेश का ये हाल देख कर विलाप करने लगती है, और अपने पुत्र को जिवित करने का हठ करने लगती है तब जाकर हाथी का सिर लगाकर भगवान शिव गणेश को पुर्नजीवन प्रदान करते है। और गणेश एक बडे संकट से निकल पाते है। इसी तिथि को भगवान गणेश को 33 करोड देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। इसी कारण से इस चौथ को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है और इसलिए महिलाएं इस व्रत को निर्जला करती है तथा रात के समय चन्द्रमा के दर्शन के पश्चात ही जल ग्रहण करती है ।

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