नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज बुधवार 22 जनवरी को 144 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई हुई | चीफ जस्टिस एसए बोबडे जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि वह केंद्र सरकार के पक्ष को में बिना कोई फैसला नहीं लेंगे कोर्ट केंद्र के पक्ष को सुने बगैर सीए और एनपीआर पर रोक नहीं लगाएंगे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा किसी एक को लेकर 84 या शिकायत दायर हो गई है अब नई याचिका को स्वीकार न की जाए यदि ऐसा अर्जी आती है तो हमें जवाब देने के लिए भी वक्त चाहिए अटार्नी जनरल ने इसके लिए कम से कम 6 हफ्ते का समय मांगा है और कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते के लिए सभी याचिकाओं पर उनका जवाब दाखिल करने के लिए कहा है कोर्ट ने कहा है कि वह एकतरफा फैसला नहीं ले सकता बिना केंद्र के फैसले का जवाब आए हुए बिना
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वह 5 हफ्ते बाद ही कोई अंतिम आदेश जारी करेगा अब पांच जजों की संविधान पीठ सीएए की संवैधानिकता पर सुनवाई करेगी वेणुगोपालन निर्माण की सभी हाई कोर्ट से यह कहा जाए कि वह सीए से जुड़े किसी भी मामले में कोई भी फैसला नहीं सुनाएंगे |
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने अपनी याचिका में कहा है कीजिए संभलता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है यह अवैध प्रवासियों के लिए एक धड़े को नागरिकता देने के लिए है और इसमें धर्म के आधार पर इसमें पक्षपात किया गया है इसमें खासतौर पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव है और इसका फायदा और धर्म जाति हिंदू सिख बौद्ध जैन पारसी और इसाई को मिलेगा इस पर रोक लगाई जाए और साथ-साथ 2015 की और अमेंडमेंट ऑर्डर और 2015 की पासपोर्ट इंट्री अमेंडमेंट रूल्स को भी रोका जाए ताकि जिससे कि इन दोनों को भी क्रियाशील होने पर रोक लगाई जा सके |
कांग्रेस
कांग्रेस की तरफ से जयराम रमेश ने अपनी याचिका में यह कहा कि यह मौलिक अधिकारों पर एक एक निर्जल हमला है यह समानता के जगह और समानता का व्यवहार करता है क्या भारत में धर्म के आधार पर नागरिकता देने के खिलाफ है
जस्टिस ने कहा है कि इस मामले पर सुनवाई करेगी 5 जजों की टीम उसके बाद फैसला होगा कि इस पर स्टेज लगेगा या नहीं यह फैसला 4 हफ्ते बाद सुनाया जाएगा उसके बाद संविधान इक्विटी बनाने पर भी फैसला उस समय किया जाएगा आपको बता दें कि असम और यूपी और पूर्वोत्तर के लिए भी अलग कैटेगरी बनाए गए हैं
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